Dragon Fruit Farming : ड्रैगन फ्रूट विटामिन सी का एक प्रमुख स्रोत है। विटामिन सी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो बीमारियों को रोकने में मदद करता है। और आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। ड्रैगन फ्रूट का उपयोग बहोत सी चीजो के लिये किया जाता है जसें कि मधुमेह, प्रीडायबिटीज, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और कई अन्य स्थितियों के लिए किया जाता है। ड्रैगन फ्रूट शरीर के लिए ठंडक देने का काम करता है। भारत में ड्रैगन फ्रूट को कमलम काहा जाता है।
भारत के ड्रैगन फ्रूट उत्पादन में गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र लगभग 70% योगदान देने वाले प्रमुख उत्पादक राज्य है। महाराष्ट्र में पानी की कमी वाले क्षेत्र ड्रैगन फ्रूट उत्पादक क्षेत्र मे आते हैं। आमतौर पर, रोपण के 6-9 महीनों के भीतर, ड्रैगन फ्रूट कटाई के लिए तैयार हो जाता है। महाराष्ट्र राज्य के कई सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भारी मात्रा में ये फल का उत्पादन किया जाता है। इस फसल को बहुत कम पानी और रखरखाव की आवश्यकता होती है। इसलिए ड्रैगन फ्रूट की खेती महाराष्ट्र में लोकप्रिय मानी जाती है। महाराष्ट्र के सोलापुर, सातारा और सांगली इन तालुका मे बारिश बहोत कम होने के कारण इन्हे सूखा प्रभावित क्षेत्र माने जाते हैं। सतारा जिले के मान, खाटव उनमें से हैं। इस सूखाग्रस्त इलाके के किसान अपने खेतों में तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं।
ड्रैगन फ्रूट एक बार रोपने के बाद 25 साल तक उत्पादन देता रहता है। खटाव तालुका के किसान हमेशा रबी और खरीफ की फसलें जेसे ज्वार, मक्का ,बाजरा , गेहूं, उगाते रहते हैं। पर एक किसान रवींद्र पाटिल ने अपने खेत में ड्रैगन फ्रूट लगाने का फैसला किया। उन्होने डेढ़ एकड़ क्षेत्र में 1 हजार खंभे लगाए और उन पर 4 हजार पौधे लगाए गए। साथ ही 80 % जैविक और 20 % रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करके ये फसलं उगाई है। पाटिल ने कहा कि इसके लिए प्रति एकड़ 6 लाख रुपये तक का खर्च आया। रवीन्द्र पाटिल ने विश्वास व्यक्त किया कि डेढ़ एकड़ में 8 से 10 लाख की आय प्राप्त होगी।