custard apple cultivation : सीताफल किसे नही पसंद। हिंगोली के एक युवा किसान ने सीता फल की खेती करके लाखो रुपये कमाए है। महाराष्ट्र मे कई किसान अपने खेत मे अलग अलग प्रयोग कर रहे है। और इससे उन्हे अच्छा फायदा भी मिल रहा है। ऐसे ही कुछ हिंगोली के सेनगांव तालुका में वरुद चक्रपान गाव के बाबाराव लक्ष्मणराव कोटकर इन्होने अपने खेत मे एक प्रयोग कुछ साल पहले किया। एम. एन. के गोल्डन किस्म के सीताफल कि एक नई किस्म का बगीचा लगाया।
उन्होंने अपने खेत मे पारंपरिक फसलों को लगाने में बदलाव किया और कुछ अलग करने का सोचा। सूखा क्षेत्र के नाम से मशहूर सेनगांव तालुका मे किसी भी चीज कि फसलं लेना मुश्किल है । कभी इधर सूखा पड़ता है तो कभी गीला सूखा पड़ता है। ओर मौसम का असर सीधे खेती पर पड़ता है। और नतीजा यह होता है कि उत्पादन घट जाता है। और बहोत नुकसान होता है। इन सब से परेशान होकर किसान आत्महत्या कर लेता है।
हिंगोली तालुका किसान ने फैसला किया कि वो हार नाही मानेगे। इन्होने पारंपरिक फसल ना लगाने का फैसला किया। और अपने एक एकड़ खेत में पन्नी तालाब का निर्माण कर जल प्रबंधन की समस्या का समाधान किया है। उनोने २०१६ को 14 x 8 के क्षेत्र में गोल्डन सीताफल के 800 पौधे लगाए थे और पाणी बराबर से देने के लिए ड्रिप सिंचाई का उपयोग किया। पिछले चार साल से वह इसी बगीचे में सीताफल का उत्पादन कर रहे हैं। उनके सीताफल पुरे देश मे लोकप्रिय है। पुणे , हैदराबाद, मुंबई , वाशी, और भी अन्य राज्यों के बड़े बाजारों में बिक्री के लिए ले जाया जाता है।