Papaya cultivation : पपीता भारत मे एक लोकप्रिय फल है । पपीता जितनी खाने मे स्वादिष्ट होती है। उतनी ही हमारी सेहत के लिए लाभदायक होती है। इसके बहोत से फायदे होते है। अगर आप रोज सुबह एक पपीता खाते हो तो आपकी सेहत के साथ-साथ त्वचा भी बहोत अच्छी रहेगी। इसमें व्हिटामिन C भरपूर मात्रा में होता है। जो त्वचा के cells की मरम्मत में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा को फ्री रेडिकल डैमेज से बचाने में मदद करते हैं। पपीता से शरीर डिटॉक्स होता है इसलिये शरीर ओर त्वचा दोनो को मदद मिलती है।
पपीता कि खेती कैसे की जाती है ?
पपीता यह एक ख़रीफ़ फसलं है। इसके खेती के लिये उन्नत तकनीक अपनाना लाभदायक है। ये फसलं तीनो मौसमों में कि जाती हे। मुख्यतः जून-जुलाई, सितंबर और फरवरी-मार्च मे। उत्पादन के लिए- आप Co 2, पूसा मेजेस्टी या मार्केट में उपलब्ध किसी भी किस्म का चयन कर सकते हैं। रोपण स्थल पर दोनो नर और मादा पौधे लगाने चाहिए। क्यूकी फूल आने तक ऐसे पौधों की पहचान नहीं की जा सकती इसलिये दोनो लगाये।
पपीता के पौधे 2.25 x 2.25 मीटर या 2.50 x 2.00 मीटर की दूरी पर लगाने चाहिए और 2 x 2 x 2 आकार के गड्ढे खोदने चाहिए। इन गड्ढे मे ये सामग्रियां डालें। सिंगल सुपर फॉस्फेट – 100 ग्राम गोबर – 200 ग्राम ,उच्च शक्ति – 100 ग्राम, शक्ति सोना – 100 ग्राम , 100 लीटर पानी में ह्यूमिक जेल पानी में ह्यूमिक जेल 100 ग्राम, वी-सीओसी। पौधे को 50 ग्राम मिलाकर तैयार किये गए घोल में डुबोकर रोपें। रोपण से पहले ये सब करना अवशक है । पहली बुआई रोपाई के 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए। रोपण के 3 से 7 महीने बाद फूल आते है। फल 4 महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।