नकली खाद और फर्जी बीज की बिक्री पर कार्रवाई करने के लिए उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस, कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने मानसून सत्र में एक नए कानून की घोषणा की। कृषि मंत्री मुंडे ने परिषद में कहा,हम एक कानून ला रहे हैं जिससे महाराष्ट्र में फर्जी बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की बिक्री पर अंकुश लगाया जाएगा। कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि वह इस संबंध में मान्सून सत्र में ही विधेयक पेश करेंगे। कानून में कोई खामी न रहे इसलिए सख्त निरीक्षण किया जा रहा है, जिसके लिए कैबिनेट बैठक में भी चर्चा हुई। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने विधानसभा में कहा कि फर्जी बीज और उर्वरक का उत्पादन करने और बेचने वालों के खिलाफ गैर-जमानती अपराध का प्रावधान करने वाला कानून बनाने का निर्णय लिया गया है।
फिलहाल बीज से जुड़े सभी कानून केंद्र सरकार के हैं। बीज अधिनियम 1966, बीज नियम 1968, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 और इसके तहत जारी बीज आदेश 1983 जैसे तीन अधिनियमों में कंपनी से मुआवजे की वसूली का कोई प्रावधान नहीं है। फर्जी बीज पर मौजूदा कानून में संशोधन कर इसे और सख्त बनाया जाएगा। फर्जी उर्वरक के मामले में भी दोषियों पर कार्रवाई के लिए उर्वरक को आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल किया जायेगा। अगर बीज खराब निकला तो किसान का पूरा सीजन बर्बाद हो जाता है। इसलिए संबंधित बीज कंपनियों को जिम्मेदार बनाने और किसानों को मुआवजा देने के लिए नए कानून की मांग की गई थी।
किसान पहली बारिश में ही बुआई शुरू कर देते हैं लेकिन अगर बीज फर्जी हो तो किसानों का नुकसान होता है। यदि यह कानून फर्जी बीजों के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने के लिए आता है, तो अच्छा है। कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने स्पष्ट किया कि वह इसी सत्र में यह विधेयक पेश करेंगे। मान्सून सत्र 4 अगस्त तक चलेगा। 31 जुलाई और 1 अगस्त को विधानमंडल बंद है, इसलिए सत्ता पक्ष को बाकी तीन दिनों में इस मुद्दे को सुलझाना होगा। लेकिन यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। ऐसे विषय पर कानून बनाते समय इसमें कोई त्रुटि न हो इसलिये सावधानी बरतनी जरूरी है। ऐसे विधेयक पर सदन में विस्तार से चर्चा होनी जरूरी है। इस विषय पर पहले सार्वजनिक चर्चा होनी चाहिए। लेकिन अब सिर्फ तीन दिन ही बचे हैं। तो ऐसे में अब सरकार बिल कब पेश करेगी ? सदस्य इस पर चर्चा कब करेंगे? ऐसे कई सवाल है जिनका कोई जवाब नहीं है।