Capsicum Farming : शिमला मिर्च किसानों के लिए अपनी आय बढाने का अच्छा जरिया बन रही है। यह फसल सिर्फ दो से तीन महीने में ही किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकती है। भारत में इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, झारखंड, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में व्यापक रूप से की जाती है। शिमला मिर्च की खेती के लिए सामान्य तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है। शिमला मिर्च अधिकतम 40 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक जीवित रहता है। साथ ही इसकी खेती के लिए जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। वहीं कई राज्यों में किसान सितंबर और जनवरी में भी शिमला मिर्च लगाते हैं।
अगर आप शिमला मिर्च की खेती करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको सबसे अच्छी किस्म का चयन करना होगा। यदि आप अच्छी गुणवत्ता वाले पौधे नहीं लगाएंगे तो आपको अच्छी फसल नहीं मिलेगी। शिमला मिर्च की कई किस्में हैं जैसे कैलिफ़ोर्निया वंडर, अर्का मोहिनी और ओरोबेल, जो लगाने पर अच्छी पैदावार देती हैं।
अधिक उपज देने वाली शिमला मिर्च की किस्में।
इंद्रा :
अगर शिमला मिर्च की इंद्रा किस्म की खेती की जाए तो फसल 70 से 75 दिनों में तैयार हो जाती है। उसके बाद शिमला मिर्च का उत्पादन शुरू हो जाएगा। एक एकड़ में इंद्रा किस्म की पैदावार 110 क्विंटल तक होती है। दिलचस्प बात यह है कि इंद्रा किस्म की एक मिर्च का वजन 100 से 150 ग्राम होता है।
सोलन हाइब्रिड 2 :
बंपर पैदावार के लिए जाना जाता है। यह एक तरह का हाइब्रिड है। इसकी फसल रोपण के 60 से 70 दिन में तैयार हो जाती है। किसान प्रति एकड़ 135 से 150 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
ओरोबेल :
ठंडे क्षेत्र की जलवायु को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने ओरोबेल किस्म का आविष्कार किया है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में किसान अगर ओरोबेल किस्म की खेती करेंगे तो उन्हें अच्छी फसल मिलेगी। यूपी-बिहार के किसान भी इसकी खेती कर सकते हैं। लेकिन इन राज्यों के किसानों को इसकी खेती पॉलीहाउस में करनी पड़ती है। इस मिर्च का रंग पीला होता है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।