cultivation of white ragi : सफेद रागी एक बहोत ही पोषकतत्व से भरपूर और सेहत के लिए अच्छी मानी जाती है। इसमे ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम मात्रा मे होता है। इस मे प्रोटीन ओर खनिज कि मात्रा चावल और गेहूं की तुलना में ज्यादा होती है। इसके हमारे शरीर मे बहोत से फायदे होते है। जेसे कि ये रागी वजन घटाने के लिये मदद करता है।आपकी त्वचा को उम्र बढ़ने से रोकता है। ओर ये रागी आपके बालों के लिए भी अच्छा है। इस से बाल झडना भी कम होगा। रागी में भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है। जो आपकी हड्डीयों को मजबूत करेगा ओर ये मधुमेह को भी रोकता है। रागी मौसम पर आधारित फसल नहीं है और इसलिए अगर नमी उपलब्ध हो तो पूरे साल इसकी खेती की जा सकती है।
अब बात करते हे कि इसकी खेती कैसे की जाती है ?
सफेद रागी की खेती पारंपरिक रागी के समान ही होती है। हालांकि इसमें कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इस रागी को बढ़ ने के लिये गर्म और शुष्क जलवायु कि जरुरत होती है। इसे बढ़ने के लिये 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान जरुरी है। इसे जल निकासी वाली मिट्टी कि आवश्यकता होती है। मिट्टी का पीएच 6 से 8 होना चाहिए।
इसकी बुआई जून से जुलाई माह में की जाती है। बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना जरुरी है। बीज को 10 से 15 सेमी की दूरी पर और 2 से 3 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान,उड़ीसा, कर्नाटक,महाराष्ट्र, इन राजो मे उगाई जाती है। ओर इन मे से ज्यादातर महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तराखंड मे उगाई और खाई जाती है।