Masoor Dal Price : केंद्र सरकार ने मसूर दाल पर मार्च 2025 तक आयात शुल्क माफ करने का फैसला किया है। यह फैसला अंतरराष्ट्रीय बाजार से दालों की आपूर्ति स्थिर करने और खाद्य महंगाई पर काबू पाने के लिए लिया गया है। दाल पर जो छूट 2024 तक थी, उसे बढ़ा दिया गया है। इस बीच, पाम तेल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई।
इससे पहले सरकार ने मार्च महीने में भी तुअर दाल की कीमत पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाया था। हर शुक्रवार को सुर दाल स्टॉक का डेटा सरकार को देने का निर्देश दिया गया। आंकड़ों से इतर स्टॉक पाए जाने पर इसे जमाखोरी माना जाएगा और कमोडिटी एक्ट के तहत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
आयात नीति को स्थिर करने के लिए रियायत को मार्च 2025 तक बढ़ाने की बात कही गई थी। जुलाई 2021 में मसूर दाल पर मूल आयात शुल्क शून्य कर दिया गया, जबकि फरवरी 2022 में इसे 10 %कृषि अवसंरचना उपकर से छूट दी गई। तब से यह छूट कई बार दी जा चुकी है।
भारत में आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली मसूर दालों के आयात में पिछले कई दिनों से गिरावट आई है। दाल के लिए भारत कनाडा पर निर्भर है। कनाडा और भारत के बीच राजनयिक तनाव के कारण भारत में मसूरी का आयात धीमा हो गया है। परिणामस्वरूप भारत में मसूर दाल की कमी हो सकती है। और घरेलू खाद्य कीमतें बढ़ सकती हैं। हालांकि, इस आयात शुल्क माफी से देश में मसूर दाल की उपलब्धता बढ़ेगी और ये कीमतें कम हो सकती हैं।
सरकार ने साफ कर दिया था कि अगर कोई व्यापारी दालों के स्टॉक की जानकारी नहीं देगा, तो उसके खिलाफ कमोडिटी एक्ट 1655 के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह कानून उपभोक्ताओं को काले बाज़ार से बचाने के लिए बनाया गया है।