Gram Cultivation : चना रबी मौसम की प्रमुख फसल है। इसे छोले या बंगाल चना के नाम से भी जाना जाता है। चना उत्पादन में भारत प्रथम स्थान पर है। चने के आकार और रंग के आधार पर दो प्रकार है। जिसमें पहले प्रकार में देसी चना (ब्राउन चना) और दूसरे प्रकार में काबुली या सफेद चना आता है।
वैसे तो चने की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जाती है, लेकिन इसकी खेती के लिए रेतीली या चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। चने के अच्छे उत्पादन के लिए 5.5 से 7 पीएच वाली मिट्टी अच्छी होती है।चने की खेती के लिए अधिक समतल जमीन की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यदि इसे गेहूं या किसी अन्य फसल के साथ मिश्रित फसल के रूप में उगाया जाए तो खेत की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए।
चने की बुआई करते समय पंक्तियों के बीच की दूरी 30-40 सेमी और बीज को 10-12.5 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए। देसी किस्मों के लिए 15-18 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ और काबुली किस्म के लिए 37 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ लगता है। चने की बुआई 15 नवंबर के बाद करते है तो ऐसे में 27 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ और 15 दिसंबर से पहले 36 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ लगेगा।
कम पानी और बागवानी वाले क्षेत्रों में 13 किलोग्राम यूरिया और 50 किलोग्राम सुपर फॉस्फेट प्रति एकड़ डालना चाहिए। जबकि काबुली चने की किस्मों के लिए 13 किलोग्राम यूरिया और 100 किलोग्राम सुपर फॉस्फेट प्रति एकड़ बुआई के समय डालना चाहिए। चने में निडिना रोग लगने पर एक एकड़ में बुआई के 3 दिन बाद 1 लीटर प्रति 200 लीटर पानी में पेंडिमेथालिन का छिड़काव करना चाहिए।