dairy business plan : दूध में फॅट की मात्रा दूध की ग्रेडिंग के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। दूध का स्वाद दूध में मौजूद फॅट पर निर्भर करता है। दूध की कीमत भी इसी फैट के आधार पर तय होती है। दूध में 84% से 86% तक पानी होता है। और बाकी 12% से 15% फॅट, एसएनएफ, लैक्टोज, प्रोटीन, विटामिन, खनिज जैसे घटक होते हैं। गाय के दूध में कम से कम फॅट की मात्रा 3.8 और भैंस के दूध में फॅट की मात्रा 6 होनी चाहिए। होल्स्टीन फ़्रीज़ियन दूध में 3.5 प्रतिशत फॅट होती है और जर्सी गाय के दूध में 4.2 प्रतिशत फॅट होती है। आम तौर पर दूध बढ जानेपर दूध में फॅटकी मात्रा कम होती है और उत्पादन घटता है तो फॅट बढ़ती है।
दूध में फॅट की मात्रा कम होने के कारण :-
बरसात और सर्दी के मौसम में हरे चारे की उपलब्धता अधिक होती है। दूध का उत्पादन तो बढ़ता है लेकिन फॅट की मात्रा कम हो जाती है। गर्मी में तापमान बढ़ने पर पशु अधिक पानी पीते हैं और चारा कम खाते हैं। इस समय उनके शरीर का तापमान बढ़ने के कारण दूध दूध की मात्रा थोड़ी कम हो जाती है, लेकिन उसका फैट बढ़ जाता है। कैसिटिस एक थन रोग है जो जर्सी गायों में देखा जाता है। ऐसी गाय के दूध में फॅट की मात्रा औसत से लगभग आधी कम हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान गाय के स्वास्थ्य का भी प्रभाव दूध के फॅट पर पड़ता है। कई बार कुछ अन्य कारणों से दूध में फैट कम हो जाती है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। दूध देनेवाले पशुओं को हरे चारे और सूखे चारे का संतुलित आहार देकर दूध में फॅट की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।
दूध में फॅट की मात्रा बढ़ाने के उपाय:-
● पशुओं के आहार में हरे चारे के साथ सूखे चारे को भी शामिल करें। दूध में फॅट की मात्रा बढ़ाने में एसिटिक एसिड एक महत्वपूर्ण घटक है। सूखे चारे में सेलूलोज़ होता है जो फॅट के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। इसके लिए गाय-भैंसों को हरे चारे के साथ सूखा चारा भी दें।
● गन्ने की बड़ियां, बारीक पिसा हुआ अनाज न दे। पशुओं के चारे में गन्ने का प्रयोग करने से शुगर की मात्रा बढ़ जाती है तो इसका असर दूध में फॅट की मात्रा पर पड़ता है।
● धान का भूसा, गेहूं का भूसा खिलाने से दूध उत्पादन और दूध की फॅट कम हो जाती है।
● गाय-भैंसों को उचित मात्रा में मक्का, भरदा, अरहर, चना, मूंग, गेहूं का भूसा आदि खिलाएं।
● दूध निकालते समय पशुओं के थन को साफ करें। इससे थन में रक्त संचार बढ़ेगा।
●दूध निकालाने का समय और दूध उत्पादन फॅट सी से संबंधित है इसलिये दूध निकालने के दो सत्रों के बीच बारह घंटे का समय छोड़ें। इस अंतर को बढ़ाने से दूध की मात्रा तो बढ़ेगी लेकिन दूध में फॅट कम हो जाता है।
● कैसिटिस के मामले में, तत्काल पशु चिकित्सा उपचार लें।