milk dairy cow : भारत में प्राचीन काल से ही कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता रहा है। आज भी किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं। कृषि के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन किसानों की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशु आहार प्रबंधन बहुत जरूरी है। कई किसान अपनी गायों को हार्मोन का इंजेक्शन लगाते हैं, जिससे दूध की पैदावार बढ़ती है, लेकिन ऐसा करने से गायों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
घरेलू उपायों से भी बढ़ाई जा सकती है दूध उत्पादन क्षमता:
लोबिया घास खाने से गाय का दूध बढ़ता है। लोबियाघास में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण गायों की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ती है। इससे गाय के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। इसमें प्रोटीन और फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है। जो दुधारू पशुओं के लिए आवश्यक है।
केवल एक प्रकार का हरा चारा देने के बजाय, नियमित चारे के साथ लोबिया, मटर जैसी फलियाँ मिलाए। हरे चारे को पीस लें, इससे पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ेगी। अधिक दूध देने वाले पशुओं के लिए यह मात्रा बढ़ाएँ। केवल एक ही प्रकार के चारे का प्रयोग न करें। कपास के बीज, मूंगफली की खली या जो भी उपलब्ध हो, मक्के का आटा और भूसा, बेसन, चावल का आटा आदि मिलाकर मिश्रण करके खिलायें।
नेपियर घास जैसी चारा फसलें दुधारूपशुओं को खिलाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चारा मानी जाती हैं क्योंकि ये पौष्टिक होती हैं और दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करती हैं। चारा फसलों में फाइबर भी होता है जो पाचन में सहायता करता है और दूध में फेट के लेवल में सुधार करता है। पशुओं को उतना ही पानी दें जितनी उन्हें आवश्यकता हो। एक दुधारू गाय को एक दिन में 60 लीटर से अधिक पानी की आवश्यकता होती है। यह पशुओं को दूध उत्पादन बढ़ाने और शरीर की स्थिति को बनाए रखने में मदद करता है।