Onion Twister Disease : भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक देश है। दुनिया भर में भारतीय प्याज की काफी मांग है। प्याज का सर्वाधिक उत्पादन महाराष्ट्र राज्य में होता है। इसके बाद कर्नाटक, गुजरात ,बिहार ,मध्य प्रदेश , इन राज्य मे होता हे। प्याज की फसल को रोग नियंत्रण के लिए नर्सरी से लेकर कटाई तक देखभाल की आवश्यकता होती है। इसी तरह कटाई के बाद प्याज की देखभाल करना और भंडारण करने से पहले उसे अच्छी तरह सुखाना भी बहुत जरूरी है।
प्याज की फसल पर ट्विस्टर रोग का प्रकोप मुख्यतः 2020 से देखा जा रहा है। ट्विस्टर रोग मुख्य रूप से नर्सरी में पाए जाने वाले फ्यूजेरियम का संक्रमण है। ट्विस्टर रोग में प्याज की पत्तियों का मुड़ना देखा जाता है। इसलिए इसे स्थानीय तौर पर प्याज पर पिला रोग के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग में प्याज की पत्तियों में पीलापन देखा जाता है और पत्ती के नीचे की तरफ आपको कोलिटोट्रिकम फंगस के संक्रमण के लक्षण मिल सकते हैं।
ये बीजाणु हवा, पानी, कीड़ों द्वारा फैलते हैं। अगर वातावरण में ओस है, या पत्ते गीली रहती है तो बीजाणु अंकुरित होते हैं । और रोग को संक्रमित करते हैं। इसे प्राथमिक संक्रमण कहा जाता है। द्वितीयक संक्रमण मे कवक पत्ती पर बीजाणु पैदा करता है। यह और अधिक प्रकोप का कारण बनता है।
उपाय :
नर्सरी में ट्राइकोडर्मा और पैसिलोमाइसेस के उपयोग से फ्यूजेरियम और नेमाटोड को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
नर्सरी मैट में 341 मीटर आकार बनाएं और बीज को एक सीधी रेखा में पतला फैलाएं।
बीजप्रक्रिया करना आवश्यक है इसके लिए ट्राइकोडर्मा एवं पैसिलोमाइसेस 5 ग्राम/किग्रा बीज की दर से प्रयोग करना चाहिए।
रोग का प्रकोप दिखाई देते ही मैंकोजेब 25 ग्राम या कार्बेन्डोजिम 10 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।