Poultry Disease : पुलोरम रोग मुख्य रूप से चूजों और मुर्गे-मुर्गियों को प्रभावित करता है, पुलोरम रोग एक संक्रामक पोल्ट्री रोग है जो साल्मोनेला पुलोरम जीवाणु के कारण होता है। लेकिन बड़ी मुर्गियों, गेम बर्ड्स, गिनी फाउल, शुतुरमुर्ग, तोते, मोर, रिंग कबूतर, गौरैया और टर्की को भी प्रभावित कर सकता है।
रोग की अवधि आठ से दस दिन तक होती है। लेकिन अगर ये रोग मुर्गीयो को अंडे सेने के दौरान हो जाय तो पहले सप्ताह में ही चूजे मृत देखने मिळते हैहालाँकि वयस्क मुर्गियाँ लक्षण नहीं दिखाती है पर फिर भी वे इस बीमारी की वाहक होती हैं। पुलोरम रोग के इलाज के लिये आप इन दवाओं का उपयोग कर सकते है एम्पीसिलीन, ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन, क्लोरोमाइसेटिन, स्ट्रेप्टोमाइसिन, नियोमाइसिन, कैनामाइसिन, जेंटामाइसिन, सिगनामाइसिन, पोलज़ोमाइसिन और नियोटार्कोसिन के प्रति संवेदनशील है।
पुलोरम कैसे फैलता है? इन बीमारियों के फैलने का सबसे आम तरीका संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आना और अंडे के माध्यम से मुर्गियों से चूजों में संचरण होता है। संक्रमण के लिए भंडार के रूप में कार्य कर सकता हैं। बैक्टीरिया शरीर के बाहर लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। यह बीमारी दूषित वातावरण के साथ-साथ दूषित अंडों से भी फैलती है। संक्रमित चूजे रोग के वाहक बन जाते हैं। संक्रमित वयस्क मुर्गियों के अंडाशय से उत्पन्न अंडे बैक्टीरिया से संक्रमित होते हैं। अंडे की दर कम हो जाता है। बैक्टीरिया के संक्रमण से । 33 % अंडे बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाते है। संक्रमित के बच्चे दूसरे के बच्चों के लिए संक्रमण का स्रोत बन जाते हैं। शेड श्रमिकों के कपड़े जूते, के माध्यम से ज्यादा फैलता है।
झुंड में मृत्यु दर ब जाता है ओर अंडे का उत्पादन कम हो जाता है। बीमारी के लक्षण दिखाने वाले चूजों को उचित एंटीबायोटिक्स देना चाहिए। एंटीबायोटिक दवाओं के प्रकार, खुराक के बरेमे पशुचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।एंटीबायोटिक परीक्षण कर ना चाहिये दवाइ का उपयोग करने से पहले. प्रभावित मुर्गियों को विटामिन ओर इलेक्ट्रोलाइट्स दिए जाने चाहिए। पीने वाला पाणी साफ रखना के लिये उचित कीटाणुनाशक का उपयोग करना चाहिए।