लगातार हो रहे पर्यावरण में बदलाव का असर हल्दी की फसल पर दिखने लगा है। हल्दी की फसल लेनेवाले किसान अब संकट में हैं क्योंकि हल्दी की फसल पर करपा रोग का प्रकोप अधिक होता है। इससे हल्दी के उत्पादन में 25 से 50 % तक की कमी आ सकती है। महाराष्ट्र में हल्दी उत्पादक किसान काफी मुसीबत में हैं। क्योंकि हल्दी की फसल पर करपा रोग किसानों की खड़ी फसल को बर्बाद कर रहा है। प्रदेश में डेढ़ लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में हल्दी की फसल बोई जाती है, लेकिन बदलते मौसम के कारण हल्दी की फसल पर गंभीर संकट आ गया है।
राज्य के अधिकांश क्षेत्र में हल्दी बड़ी मात्रा में उगाई जाती है। लेकिन हल्दी से कमाई करने वाले किसान संकट में हैं। इसका कारण यह है कि पर्यावरण में बदलाव के कारण हल्दी की फसल पर करपा रोग का बड़े पैमाने पर प्रकोप हो रहा है। किसानों द्वारा लगाई गई हल्दी की फसल बर्बाद हो रही है। पिछले कुछ दिनों से मौसम लगातार बदल रहा है। कभी सर्दी है तो अचानक बेमौसम बारिश का दौर देखने को मिल रहा है। इसलिए पर्यावरण में हो रहे बदलाव का असर फसलों पर भी देखने को मिल रहा है। रबी सीजन की कई फसलें प्रभावित हो रही हैं। इसके साथ ही हल्दी की फसल पर भी प्रभाव पड़ रहा है। पर्यावरण में बदलाव के कारण फसलों को होने वाले नुकसान को देखते हुए इसका सीधा असर किसानों पर आर्थिक रूप से भी पड़ रहा है।