Turmeric farming : हल्दी की खेती करते समय किसानों को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए। हल्दी भारत का एक लोकप्रिय मसाला है। इसके सुनहरे पीले रंग के कारण इसे ‘इंडियन सॉलिड गोल्ड’ और ‘इंडियन केसर’ नाम दिया गया है। हल्दी का उपयोग एशिया में हजारों वर्षों से किया जा रहा है और यह आयुर्वेद का एक प्रमुख हिस्सा है। हल्दी की फसल बुआई के समय के आधार पर सात से नौ महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। फसल की कटाई आम तौर पर जनवरी से मार्च के दौरान की जाती है। परिपक्व होने पर हल्दी पत्तियाँ सूख जाती हैं और हल्के भूरे से पीले रंग की हो जाती हैं।
भारत में हल्दी कई राज्यों में उगाई जाती है। सर्वाधिक योगदान तेलंगाना का है इसके बाद उड़ीसा, आंध्र प्रदेश ,तमिलनाडु ,कर्नाटक और पश्चिम बंगाल।हल्दी की खेती आसानी से और छाया में भी की जा सकती है। किसानों को रोपण करते समय नियमित रूप से खरपतवार निकालना चाहिए। इससे खरपतवारों की वृद्धि रुक जाती है और फसल को पोषक तत्व मिलते हैं।
किसानों को हल्दी की खेती करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इससे किसानों को भारी मुनाफा हो सक्ता है ।हल्दी की बुआई का समय किस्म के आधार पर 15 मई से 30 जून के बीच है। हल्दी की बुआई के लिए दो पंक्तियों के बीच की दूरी 30 से 40 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी होनी चाहिए। हल्दी की फसल 8 से 10 महीने में तैयार हो जाती है। मिट्टी का Ph 6.5 और 8.5 के बीच होना चाहिए। हल्दी के अच्छे उत्पादन के लिए उर्वरक का उचित उपयोग करना आवश्यक है।