Watermelon Cultivation : तरबूज़ किसे पसंद नहीं? सभी लोग इसें बहोत चाव से खाते है। तरबूज़ का रबी और ख़रीफ़ सीज़न के बीच मे गर्मी के महीनों के दौरान एक छोटा सीज़न होता है
जिसे ज़ैद सीज़न के रूप में जाना जाता है। उसमे उगाया जाता है। तरबूज़ के बहोत से फ़ायदे होते है। ये आपकी ब्लड शुगर लेवल को बराबर रखता है। आपको हाइड्रेटेड रखता है। रक्त शर्करा प्रबंधन में मदद करता है। हृदय रोग को रोकने में मदद करता है। अगर किसी को अस्थमा कि परेशान हो तो इस्की गंभीरता को कम करने मे मदद करता है। अगर आप हररोज नियमित रूप से तरबूज खाये तो इससे मोटापा, मधुमेह,हृदय रोग और कैंसर जेसी बीमारियों का खतरा कम हो सकता है। गर्मी के दिनों में तरबूज़ की ज्यादा मांग रहती है। अधिक उपज प्राप्त करने के लिए तरबूज़ की खेती वैज्ञानिक ढंग से की जा सकती है।
तरबूज़ की खेती कैसे करते है ?
तरबूज़ के लिए मिट्टी उपजाऊ और कार्बनिक पदार्थ से भरपूर होनी चाहिए। खेती के लिए 6.0 – 7.0 ph जरुरी है।रोपण से पहले भूमि को खड़ी और क्षैतिज रूप से जुताई करनी चाहिए। फिर कुलवे की 2 से 3 परतें देकर ढेलों को तोड़ दें और जमीन को भुरभुरा कर लें। परती ऋतु के समय 30 से 40 गाड़ी अच्छी तरह गाय का गोबर मिट्टी में मिला देना चाहिए। बुआई के लिए 1.2 मीटर चौड़ाई और 30 सेमी ऊंचाई की क्यारियां बनाएं। प्रत्येक क्यारी के मध्य में पार्श्व ट्यूब फैलाएं।एक एकड़ में एकल पंक्तियों में पांच फीट से आठ फीट की दूरी पर लगाए जा सकते हैं।
क्यारियों में ड्रिप सिस्टम को लगातार 8-12 घंटे तक चलाकर सिंचाई करें। फसल की वृद्धि के लिए पानी की नियमित और पर्याप्त आपूर्ति आवश्यक है। अनियमित जल आपूर्ति से फल फटने का खतरा हो सकता है। ध्यान रखें कि सिंचाई करते समय फल पानी के संपर्क में न आएं ताकि फल सड़ें नहीं। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फल के विकास के दौरान बेलों को पानी की कमी न हो। तरबूज को परिपक्व होने में 80 से 100 दिन लगते हैं।